विंढमगंज, 13 सितम्बर 2025
विंढमगंज क्षेत्र के प्राचीन माँ काली मंदिर के सामने स्थापित सरकारी चापाकल पिछले एक वर्ष से अधिक समय से खराब पड़ा हुआ है। यह स्थान केवल धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि पटेल नगर जाने वाले टेंपो स्टैंड के कारण प्रतिदिन हजारों लोगों की आवाजाही का मुख्य केंद्र भी है। इस भीड़-भाड़ वाले इलाके में पेयजल की सुविधा ठप हो जाने से यात्रियों, ग्रामीणों और श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
माँ काली मंदिर में रोजाना दर्जनों गाँवों से श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। वहीं टेंपो स्टैंड से प्रतिदिन सैकड़ों यात्री पटेल नगर और आसपास के इलाकों की ओर प्रस्थान करते हैं। इस दौरान सबसे ज्यादा आवश्यकता स्वच्छ पेयजल की होती है। लेकिन खराब पड़े चापाकल ने लोगों की मुश्किलें दोगुनी कर दी हैं।
गर्मी और यात्रा की थकान में पानी न मिलना न सिर्फ असुविधा है, बल्कि यात्रियों और श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा बन गया है।
मंदिर परिसर और स्टैंड के आसपास के दुकानदारों व टेंपो चालकों का कहना है कि आए दिन लोग पानी मांगते हैं, लेकिन उन्हें निराश करना पड़ता है।
एक दुकानदार ने दुख व्यक्त करते हुए कहा – “हमारे सामने लोग प्यास से परेशान हो जाते हैं। कभी-कभी बच्चे और बुजुर्ग भी पानी मांगते हैं, लेकिन हमारे पास सुविधा नहीं है। अगर यह चापाकल चालू होता तो सभी को राहत मिलती।”
वाहन चालकों ने भी कहा कि इस वजह से यात्रियों को कई बार यात्रा के दौरान असुविधा उठानी पड़ती है।
यह चापाकल सरकारी भूमि पर स्थित है, जो ग्राम बुतबेढ़वा के अंतर्गत आती है। नियम के अनुसार इसकी देखरेख और मरम्मत की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान तारा देवी की है। ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले एक वर्ष से शिकायत करने के बावजूद न तो ग्राम प्रधान और न ही उच्च अधिकारी इस समस्या पर कोई कदम उठा रहे हैं।
ग्रामीणों ने कटाक्ष करते हुए कहा – “नेता और अधिकारी चुनाव के समय तो वादों की झड़ी लगा देते हैं, लेकिन जब जनता को पानी जैसी बुनियादी सुविधा चाहिए होती है, तब सब मौन साध लेते हैं।”
स्वच्छ पेयजल की सुविधा न होने से ग्रामीण और यात्री मजबूरी में आसपास के असुरक्षित स्रोतों से पानी पीने को विवश हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि असुरक्षित पानी से डायरिया, हैजा, पेट संक्रमण और अन्य बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ सकता है।
यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो यह केवल असुविधा ही नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है।
स्थानीय ग्रामीणों और यात्रियों ने जिला प्रशासन से इस समस्या का तुरंत समाधान कराने की मांग की है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही चापाकल चालू नहीं हुआ तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
एक यात्री ने नाराजगी जताते हुए कहा – “यहाँ रोज़ सैकड़ों लोग गुजरते हैं, लेकिन पानी तक नसीब नहीं होता। अगर अब भी ध्यान नहीं दिया गया तो हम सड़क पर उतरकर विरोध करेंगे।”
माँ काली मंदिर के सामने स्थित यह सरकारी चापाकल केवल एक नल नहीं, बल्कि हजारों लोगों के लिए जीवनरेखा है। श्रद्धालु हों, ग्रामीण हों या यात्री—सभी को पानी की मूलभूत सुविधा की आवश्यकता है।
जनता की स्पष्ट मांग है कि इस चापाकल को तुरंत दुरुस्त किया जाए और भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। सवाल यह है कि आखिर कब ग्राम प्रधान और प्रशासन इस ओर गंभीरता दिखाएंगे और कब तक जनता मूलभूत अधिकार से वंचित रहेगी?
अब यह देखना होगा कि जिला प्रशासन और ग्राम प्रधान तारा देवी कब जागते हैं और लोगों को इस संकट से निजात दिलाते हैं।